जय श्री राम
साधक का परम साध्य (लक्ष्य) :- श्री राम की अखण्ड स्मृति (= नित्य एकत्व)
अखण्ड स्मृति
अखण्ड स्मृति
राम अपनी कृपा से मुझे भक्ति दे .
राम अपनी कृपा से मुझे शक्ति दे ..
नाम जपता रहूँ, काम करता रहूँ .
तन से सेवा करूँ, मन से संयम कर्रूँ ..
राम अपनी कृपा से मुझे शक्ति दे ..
नाम जपता रहूँ, काम करता रहूँ .
तन से सेवा करूँ, मन से संयम कर्रूँ ..
राम
ध्यान (A)
आराध्य श्रीराम त्रिकुटी में,
प्रियतम सीताराम हृदय में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम रोम रोम में ..
जप (B)
जप (B)
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम राम मुख में ..
राम राम राम राम राम मुख में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम स्वांस स्वांस में ॥
राम राम राम राम स्वांस स्वांस में ॥
समर्पण
(1) तन है तेरा, मन है तेरा
(2) प्राण हैं तेरे, जीवन तेरा
(3) सब हैं तेरे, सब है तेरा
(1) तन है तेरा, मन है तेरा
(2) प्राण हैं तेरे, जीवन तेरा
(3) सब हैं तेरे, सब है तेरा
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम जन जन में ..
श्री राम जय राम जय जय राम .
राम राम राम राम कण कण में ..
शरणागति
(4) मैं हूं तेरा
प्रीति
(5) तू है मेरा
सायं "शरणागति पथ" का पाठ, "साधना पथ" का पाठ
(A) (B) करने के लिये, अन्य सब, समझ कर , दृष्टिकोण बदलने के लिये हैं ।
(A) (B) करने के लिये, अन्य सब, समझ कर , दृष्टिकोण बदलने के लिये हैं ।